गुलाबी नगरी की होली: रंगों का महासंगम 2025

जयपुर की होली की बात हो और गुलाल गोटा का उल्लेख न हो, यह संभव नहीं। मनिहारों का रास्ता, जो अपने लाख के उत्पादों के लिए प्रसिद्ध है, यहां के मुस्लिम परिवार पीढ़ियों से गुलाल गोटा बनाने की परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं। यह परंपरा तब शुरू हुई जब राजाओं ने कारीगरों से होली के लिए कुछ विशेष बनाने की मांग की थी, जिसके परिणामस्वरूप लाख से बने ये हल्के, गोल और सजावटी गेंद तैयार की गईं, जिनमें सूखा रंग भरा जाता है। आज, यह परंपरा सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक बन गई है, जहां मुस्लिम कारीगर इन्हें बनाते हैं और हिंदू समुदाय इन्हें होली के दौरान उपयोग करता है। जयपुर से ये गुलाल गोटे न केवल देशभर में बल्कि जर्मनी, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी निर्यात किए जाते हैं। 

गार्डन महादेव मंदिर में फाग महोत्सव

जयपुर के गार्डन महादेव मंदिर में इस वर्ष फाग महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 200 श्रद्धालुओं ने फूलों की होली खेली। भगवान का विशेष श्रृंगार किया गया और भक्तों ने भजनों की मधुर धुनों पर नृत्य किया, जिससे वातावरण भक्तिमय हो उठा।

सांभर में होली की धूम

पर्यटन नगरी सांभर में होली के रंग बिखरे, जहां स्थानीय लोगों और पर्यटकों ने मिलकर उत्सव का आनंद लिया। सांभर झील के किनारे होली के गीतों और नृत्यों ने समां बांध दिया, जिससे यह स्थान रंगों से सराबोर हो गया।

शेखावाटी की चंग धमाल होली

राजस्थान के शेखावाटी अंचल में होली का उत्सव बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है। यहां की होली चंग पर धमाल गाने और नृत्य करने के लिए प्रसिद्ध है, जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करता है। लोग समूह बनाकर चंग की थाप पर पारंपरिक गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं, जिससे होली का उत्सव और भी खास बन जाता है।

सुरक्षा के विशेष इंतजाम

होली के दौरान जयपुर शहर में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया है। लॉ एंड ऑर्डर को बनाए रखने के लिए लगभग 2,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है, विशेषकर अति संवेदनशील इलाकों में रैपिड एक्शन फोर्स की टीमें रिजर्व में रखी गई हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि होली का उत्सव शांतिपूर्ण और सुरक्षित तरीके से मनाया जाए, प्रशासन ने यह कदम उठाया है।

शैक्षणिक संस्थानों में होली पर विवाद

जयपुर के सोफिया स्कूल में होली के रंग लाने पर प्रतिबंध लगाने के कारण विवाद उत्पन्न हुआ। स्कूल प्रशासन ने छात्रों को निर्देश दिया था कि यदि वे रंग लाते हैं तो उन्हें परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा। इस फैसले पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने नाराजगी जताई और इसे सांस्कृतिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया। उन्होंने सीबीएसई से इस मामले में कार्रवाई की मांग की है।

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