इंटरनेट (Internet) पर बढ़ रहे डीप फेक (Deepfake) या फेक न्यूज जाल को रोकने के लिए भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एआई (AI) से जुड़ी कंपनियों को साफ निर्देश दिए हैं कि अगर भी कोई कंटेंट एआई के जरिए बनाया गया है, तो उस पर यह साफ-साफ लिखा होना चाहिए कि “यह एआई द्वारा बनाया गया है”।

सरकार (Indian Government) का यह कदम डिजिटल दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा हैं। सरकार के इस कदम को इस लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योकि सरकार AI के माध्यम से फैलाये जा रहे झूठे प्रचार-प्रसार को रोक कर पारदर्शिता लाना चाहती है ताकि लोगों में फल रहे भ्रम से बचा जा सके। हाल के दिनों में एआई (AI) की मदद से बने वीडियो (Video) और ऑडियो (Audio) ने कई बार सच्चाई और झूठ के बीच की रेखा धुंधली कर दी है। ऐसे में यह पहचानना मुश्किल हो गया है कि कौन-सी सामग्री असली है और कौन नकली।

हालांकि, इस फैसले को लेकर बहस भी शुरू हो गई है। टेक कंपनियों (Tech Companies) और कानूनी विशेषज्ञों (legal experts) का कहना है कि एआई कंटेंट की पहचान करना आसान नहीं है और इसे लागू करने के तरीकों पर और स्पष्टता चाहिए। कुछ विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि यह कदम जरूरी है, लेकिन इसे व्यवहारिक और तकनीकी रूप से मजबूत बनाना होगा।

बता दे की डीप फेक कंटेंट की शुरुआत साल 2017 में हुई थी। शुरुआत में इसे सिर्फ मस्ती और मनोरंजन (Fun and entertainment) के लिए इस्तेमाल किया गया था, लेकिन धीरे-धीरे यह गलत प्रचार के काम आने लगी। भारत में साल 2018 से 2020 के बीच कई ऐसे मामले सामने आए जिनमें डीप फेक वीडियो का इस्तेमाल फेक न्यूज, राजनीतिक प्रचार और अश्लील सामग्री (pornographic material) फैलाने में किया गया।

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