बांग्लादेश में जो मोहम्मद यूनुस अपनी सरकार के राज में शांति की वकालत करते फिरते थे, उन्हीं यूनुस के शासन में ही बांग्लादेश आज खून के आंसू रो रहा है। आज बांग्लादेश में मज़हबी सियासत की नफरत ने इस कदर अपनी पैठ बना ली है अब किसी भी धर्म का शख्स सुरक्षित नहीं है। चाहे वो हिंदू हो, ईसाई हो, या किसी विपक्षी पार्टी के सदस्य और उनका परिवार हो। दो दिन पहले बांग्लादेश में एक 30 साल के हिंदू युवक को दंगाइयों की भीड़ ने बेरहमी से पीट-पीट कर मार डाला था और उसके शव को पेड़ से लटका कर जला दिया था जिसने भारत के लोगों तक को अंदर तक हिला कर रख दिया तो अब इन्हीं दंगाइयों ने BNP नेता के घर को बंद कर उसमें आग लगा दी। जिससे नेता की 3 नाबालिग बेटियां जल गईं, 7 साल की बेटी की जिंदा जलने से मौत हो गई। वहीं 2 और बेटियों की हालत बेहद गंभीर है।
BNP नेता घर को बाहर से बंद कर लगाई आग
बांग्लादेश के अखबार द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक बीते दिन रात 1 बजे दंगाइयों की भीड़ लक्ष्मीपुर सदर उपज़िला में भवानीगंज यूनियन BNP के सहायक संगठनात्मक सचिव और व्यवसायी बेलाल हुसैन के घर पर पहुंच गई। जो पश्चिम चार मानसा गांव में स्थित है। दंगाइयों ने घर को बाहर से बंद किया और फिर उसमें आग लगा दी। जिसमें बेलाल की 7 साल की बेटी आयशा अख्तर की आग में जलकर मौत हो गई। वहीं BNP नेता और उनकी दो और बेटियां, 16 साल की सलमा अख्तर और 14 साल की सामिया अख्तर गंभीर रूप से झुलस गए। बेलाल का लक्ष्मीपुर सदर अस्पताल में इलाज चल रहा है, जबकि उनकी बेटियों को बेहतर इलाज के लिए ढाका भेजा गया है। इस घटना के बाद पुलिस अधिकारी वाहिद परवेज़ ने कहा कि इस बात की जांच की जा रही है कि ये कांड किसने किया और इसके पीछे क्या मकसद था।
BNP नेता की मां ने बताया आंखों देखा हाल
दंगाइयों ने किस बेरहमी से इस कांड को अंजाम दिया, उसे बताते हुए BNP नेता बेलाल की मां, हज़ेरा बेगम ने बताया कि वो रात के खाने के बाद सो गई थी। रात करीब 1:00 बजे नींद खुली और खिड़की से देखा कि उनके बेटे के टिन की छत वाले घर में आग लगी हुई है। ये देखकर वो चीखते हुए बाहर भागीं लेकिन घर के दोनों दरवाजे बाहर से बंद थे। इसलिए वो अंदर नहीं जा सकीं। आखिरकार, उनके बेटे ने किसी तरह दरवाजा तोड़ा और बाहर निकले। नेता की पत्नी भी अपने चार महीने के बच्चे, और 6 साल के बेटे के साथ बाहर निकल पाईं।
उन्होंने आगे बताया कि उनकी पोतियां, सलमा, सामिया और आयशा, एक कमरे में सो रही थीं। उनमें से दो को गंभीर रूप से झुलसी हुई हालत में बचा लिया गया, लेकिन सबसे छोटी आयशा अंदर ही जलकर मर गई। बेलाल भी बुरी तरह झुलस गया था। हज़ेरा बेगम ने दावा किया कि बदमाशों ने दोनों दरवाजे बंद कर दिए और पेट्रोल डालकर घर में आग लगा दी, लेकिन ये सब किसने किया उसे वो पहचान नहीं पाई।
हिंदू युवक कि मॉब लिंचिंग मामले में कहीं ईशनिंदा का सबूत नहीं
इधर बांग्लादेश में मैमनसिंह में कथित ईशनिंदा के आरोप में मॉबलिंचिंग का शिकार हुए हिंदू युवक के मामले में यह सामने आया है कि जिस ईशनिंदा के आरोप में दंगाई भीड़ ने हिन्दू युवक दीपू चंद्र को पीट-पीट कर मार डाला, वैसा कोई मामला सामने आया ही नहीं था। इस मामले की पुष्टि करते हुए बांग्लादेश के आतंकवादी विरोधी बल, रैपिड एक्शन बटालियन की एक कंपनी कमांडर मोहम्मद शम्सुज्जमान ने बांग्लादेश के द डेली स्टार अखबार को बताया कि ईशनिंदा का तो कोई सबूत ही नहीं मिला, जिससे यह पता चल सके कि दीपू चंद्र दास ने फेसबुक पर कुछ ऐसा लिखा हो जिस किसी के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची हो।
मोहम्मद शम्सुज्जमान ने कहा कि इस मामले में दीपू चंद्र दास के सहकर्मियों से भी पूछताछ की और उन्होंने भी यही कहा कि व्यक्तिगत तौर पर उन्हें इस तरह की कोई बात कहते सुना ही नहीं गया और ऐसा भी नहीं सुना गया कि वो कभी किसी धर्म को लेकर इस तरह की बात करता हो, वो तो बहुत अच्छा इंसान था।
बता दें कि 30 साल के दीपू चंद्र दास को मैमनसिंह के भालुका में एक कपड़ा कारखाने के बाहर पीट-पीट कर दंगाई भीड़ ने मार डाला। इसी कपड़ा कारखाने में दीपू चंद्र काम करता था। इतना ही नहीं जब इस मॉब लिंचिंग का शिकार हुए दीपू चंद्र दास की मौत हो गई तो इन दंगाइयों ने उसके शव के साथ भी बेरहमी की। उसके शव को पहले उन्होंने पेड़ पर सिर के बल लटकाया और उसे पेट्रोल डालकर जला दिया। गौर करने वाली बात यह है कि जब ये सब हो रहा था तब वहां पर घंटों तक ना कोई पुलिस बल पहुंचा, ना ही कोई अधिकारी। ऐसे में कहा जा रहा है क्या ये सब एक साजिश के तहत और प्रशासन की मिली भगत के तहत हो रहा था?