क्यों होती है मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा? पढ़ें इस त्योहार का असली महत्व

भारतीय संस्कृति में नवरात्र (Navratri 2025) सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा, आस्था और उत्साह का अद्भुत संगम है। 9 दिनों तक चलने वाला यह पर्व मां दुर्गा और उनके 9 रूपों की आराधना का प्रतीक है (Significance of Navratri)। इस दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों में व्रत, पूजन, गरबा, रामलीला और दुर्गा पूजा जैसे विविध आयोजन होते हैं, जो नवरात्र को धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद खास बनाते हैं।

शक्ति की आराधन
नवरात्र का सबसे बड़ा महत्व शक्ति की पूजा से जुड़ा है। देवी दुर्गा को सृजन, पालन और संहार की मूल शक्ति माना गया है। नौ दिनों तक उनके नौ स्वरूपों- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। हर रूप हमें अलग-अलग संदेश देता है, जैसे धैर्य, साहस, भक्ति और ज्ञान। नवरात्र की साधना केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमें याद दिलाती है कि सृष्टि की हर रचना स्त्री शक्ति से जुड़ी है और उसका सम्मान जीवन के संतुलन के लिए जरूरी है।

अच्छाई की बुराई पर जीत
नवरात्र का संबंध उस अनंत संदेश से भी है, जिसमें अच्छाई की हमेशा जीत होती है। सबसे प्रसिद्ध कथा है मां दुर्गा और महिषासुर की। महिषासुर को वरदान मिला था कि उसे कोई पुरुष या देवता नहीं मार सकता, लेकिन जब उसका अत्याचार बढ़ गया, तब देवताओं ने मिलकर देवी दुर्गा की रचना की। देवी ने नौ रातों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। यही विजयादशमी का दिन है। उत्तर भारत में नवरात्र का संबंध भगवान राम की रावण पर जीत से भी जुड़ा है। इस दौरान रामलीला का मंचन होता है और दशहरे पर रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले दहन कर दिए जाते हैं, जो अहंकार और अन्याय के अंत का प्रतीक हैं।

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