साउथ अफ्रीका के खिलाफ कोलकाता टेस्ट में मिली हार ने भारतीय क्रिकेट टीम की एक पुरानी कमजोरी को फिर उजागर कर दिया—स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ संघर्ष। हार के बाद चर्चा दो हिस्सों में बंटी—कुछ ने कोलकाता की धीमी और टर्निंग पिच को जिम्मेदार कहा, तो कुछ ने बल्लेबाजों की तकनीक और मानसिक मजबूती पर सवाल उठाए।
भारतीय टीम के कोच गौतम गंभीर ने पिच को बचाते हुए कहा, “पिच इतनी भी खराब नहीं थी कि बल्लेबाजी न हो सके। यह वही पिच थी, जैसा हम चाहते थे। भारतीय बल्लेबाजों ने स्पिनर्स के खिलाफ खराब बल्लेबाजी की। उन्हें स्किल और मानसिक दोनों स्तर पर बेहतर होने की जरूरत है।”
गंभीर की बात में दम भी दिखता है, क्योंकि कोलकाता टेस्ट में भारत के 60% विकेट स्पिनर्स के खिलाफ गिरे। टीम ने कुल 20 विकेट गंवाए, जिनमें 12 विकेट स्पिन गेंदबाजी के सामने आए। यह आंकड़ा सिर्फ एक मैच का नहीं, बल्कि पिछले एक साल से लगातार उभरती कमजोरी की ओर इशारा करता है।
पिछले एक साल के आंकड़े क्या कहते हैं?
पिछले 12 महीनों में भारत में खेले गए 6 टेस्ट मैचों में इंडियन टीम के कुल 87 विकेट गिरे, जिनमें से—
- 60 विकेट स्पिनर्स को मिले
- 27 विकेट तेज गेंदबाजों ने लिए
यह साफ दिखाता है कि भारतीय बल्लेबाज, जो कभी स्पिन को सबसे बेहतर खेलते थे, अब उसी विभाग में असफल दिख रहे हैं।
हार की असली वजह: स्पिनर्स को न खेल पाना?
दिखाई यही देता है।
न नई गेंद पर संघर्ष, न तेज गेंदबाजों के सामने परेशानी—टीम बार-बार उसी जगह पिछड़ रही है जहां भारत मजबूत माना जाता था: स्पिन खेलना।