बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि कोई पत्नी बिना पर्याप्त और वैधानिक कारण के अपने पति से अलग रहती है, तो वह गुजारा भत्ता (maintenance) पाने की पात्र नहीं होगी। कोर्ट ने रायगढ़ निवासी एक महिला की अर्जी को खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराया है।
मामले में महिला ने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उसका आरोप था कि पति और ससुराल पक्ष ने दहेज की मांग की और प्रताड़ित किया, जिसके चलते उसे मायके भेज दिया गया। वहीं, पति की ओर से कहा गया कि पत्नी अपनी इच्छा से अलग रह रही है और उसके पास ऐसा करने का कोई वैधानिक या उचित कारण नहीं है।
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि भरण-पोषण का अधिकार तभी लागू होता है जब पत्नी यह साबित कर सके कि वह अत्याचार, असुरक्षा या गंभीर उत्पीड़न जैसी परिस्थितियों के कारण पति से अलग रह रही है। केवल मनमुटाव या असहजता को अलग रहने का कारण नहीं माना जा सकता।

एडवोकेट विवेक गौड ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “हाईकोर्ट का यह फैसला सामाजिक और कानूनी दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे यह स्पष्ट संदेश जाता है कि गुजारा भत्ता पाने के लिए पत्नी को यह साबित करना होगा कि उसके अलग रहने के पीछे वैध और ठोस कारण हैं। कोर्ट ने भरण-पोषण के अधिकार को न्यायसंगत सीमाओं में परिभाषित किया है।”